मॉरीशस में प्रस्तावित है हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा का अंतरराष्ट्रीय केंद्र
विश्वविद्यालय प्रतिनिधि मंडल की मॉरीशस सरकार से पहल
वर्धा, 29 फरवरी, 2012;
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा पहली बार अपना अंतरराष्ट्रीय केंद्र मॉरीशस में शुरू करने जा रहा है। हाल ही में विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय, प्रतिकुलपति प्रो.ए.अरविंदाक्षन, कार्य परिषद की सदस्य प्रो. निर्मला जैन, डॉ. सुभाष पाण्डेय सहित सात सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने मॉरीशस जाकर केंद्र खोलने की कार्यवाही शुरू कर दी है। विश्वविद्यालय की ओर से गए प्रतिनिधि मंडल ने मॉरीशस के राष्ट्रपति सर अनिरूद्ध जगन्नाथ, टर्शियरी शिक्षा मंत्री राजेश जीता, संस्कृति मंत्री मुकेश्वर चौनी तथा शिक्षा मंत्री बसंत कुमार बनवारी से मुलाकात कर वर्धा हिंदी विश्वविद्यालय के स्थापना के उद्देश्यों को साकार करते हुए मॉरीशस में विश्वविद्यालय का एक केंद्र खोलने की मंशा जाहिर की। विश्वविद्यालय की इस पहल का मॉरीशस सरकार ने स्वागत किया।
मॉरीशस से लौटने के उपरांत कुलपति विभूति नारायण राय ने बताया कि हिंदी में आधुनिक विमर्शों व अंतरानुशासनिक विषयों का अध्ययन और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता दिलाने के उद्देश्य से स्थापित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा ने इलाहाबाद व कोलकाता में केन्द्र स्थापित करने के उपरांत मॉरीशस में अंतरराष्ट्रीय केन्द्र शुरू करने की पहल की है क्योंकि वहां के लोगों में हिंदी के प्रति लगाव है और वे उच्च शिक्षा के लिए भारत के विश्वविद्यालयों से जुड़ना चाहते हैं। इसके लिए मंत्रालय से अनुमति मिलते ही हम अपना केंद्र स्थापित कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि मॉरीशस से अगले अकादमिक सत्र में कई विद्यार्थी एम.फिल्. व पीएच.डी. करने आयेंगे। अधिकांश विद्यार्थियों ने डायस्पोरा, फिल्म एवं नाटक, स्त्री अध्ययन, अहिंसा एवं शांति अध्ययन में रूचि दिखाई है। उन्होंने यह भी बताया कि महात्मा गांधी संस्थान, मोका, मॉरीशस के निदेशक डॉ. वी.डी.कुंजल तथा अध्यक्ष डॉ.आर.द्वारिका ने वर्धा हिंदी विश्वविद्यालय से समझौता (एमओयू) करने की इच्छा जतायी है। इस दिशा में प्रतिनिधि मंडल से विभागाध्यक्षों का अंतरक्रियात्मक सत्र के दौरान विस्तार से चर्चा हुई तथा निर्णय लिया गया कि जल्द ही समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया जाएगा।
कुलपति विभूति नारायण राय ने बताया कि हम क्लेनिया विश्वविद्यालय (श्रीलंका), एशियन-अफ्रीका संस्थान, हम्बुर्ग विश्वविद्यालय (जर्मनी), ट्युबिंगन विश्वविद्यालय (जर्मनी), टूरिन विश्वविद्यालय (इटली) के साथ समझौता कर चुके हैं जबकि टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज तथा घेंट यूनिवर्सिटी, बेल्जियम के साथ एमओयू करने की प्रक्रिया जारी है। हम इस बात के लिए भी प्रयासरत हैं कि दुनियाभर के कई देशों के विश्वविद्यालयों से समझौता हो ताकि सांस्कृतिक आदान-प्रदान के तौर पर वहां से विद्यार्थी व अध्यापक आ सकें और यहां से भी शिक्षक व विद्यार्थी बाहर के देशों में जाकर हिंदी को वैश्विक फलक पर पहुंचा सके। उन्होंने आशा जतायी कि अगले अकादमिक सत्र में दुनियाभर के कई देशों से विद्यार्थी यहां अध्ययन करने आएंगे और वे हिंदी को भूमंडलीकृत करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकेंगे। हमारी कोशिश रहेगी कि कैसे यह विश्वविद्यालय, हिंदी के लिए ‘इंटरनेशनल हब’ के रूप में विकसित हो। प्रतिनिधि मंडल में विवि के डॉ.राजीव रंजन राय, डॉ.सुरजीत सिंह तथा डॉ.बीरपाल सिंह यादव शामिल थे। इस दौरान मॉरीशस स्थित विश्व हिंदी सचिवालय में आयोजित विशेष समारोह में कुलपति विभूति नारायण राय व प्रतिनिधि मंडल का भव्य स्वागत किया गया। स्वागत समारोह में श्री राय ने ‘वैश्विक भाषा के रूप में हिंदी’विषय पर व्याख्यान भी दिया।
वैश्विक फलक पर हिंदी को ले जाने के लिए विवि का सराहनीय प्रयास- दुनियाभर में हिंदी जाननेवालों के लिए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धाहिंदी के पठन-पाठन में आ रही दिक्कतों से रू-ब-रू होने के लिए वर्ष में दो बार विदेशी हिंदी शिक्षकों के लिए अभिविन्यास (ओरिएंटेशन) कार्यक्रम चला रहा है। गत वर्ष आयोजित अभिविन्यास कार्यक्रम में क्रोएशिया, जर्मनी, थाईलैण्ड, मॉरीशस तथा चीन के हिंदी अध्यापक शामिल हुए थे जबकि दूसरी बार हुए इसी कार्यक्रम के तहत जर्मनी, चीन, क्रोएशिया, हंगरी, न्यूजीलैण्ड, इटली, रूस, बेल्जियम, श्रीलंका के हिंदी शिक्षकों ने शिरकत की थी। विदेशी शिक्षण प्रकोष्ट के निदेशक व प्रतिकुलपति प्रो.ए.अरविंदाक्षन ने बताया कि हमारा यह भी प्रयास होगा कि हम विदेशियों को हिंदी सरल ढंग से सिखाने के लिए जल्द ही पाठ्य सामग्री भी उपलब्ध कराएं। विदेशी विद्यार्थियों के लिए हमने कुछ सुविधाएं दी हैं-जैसे उन्हें लगातार लंबे समय तक यहां रहने की बाध्यता नहीं होगी। उन्हें प्रवेश परीक्षा में भी छूट मिल सकती है। गौरतलब है कि विवि के साहित्य विद्यापीठ में चीन से एक शोधार्थी पीएच.डी.कर रहे हैं, इस वर्ष चीन, थाईलैण्ड, मॉरीशस, श्रीलंका के लगभग 25 विद्यार्थी विश्वविद्यालय के विविध विद्यापीठों में अध्ययनरत हैं।
एक सराहनीय पहल। जानकारी का आभार!
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