भारत का उच्चायोग
सूवा
वार्षिक प्रगति रिपोर्ट -2011 - 2012
फीजी में हिंदी दिवस समारोह – 2011
संसार भर में बसे भारतवंशियों के देशों में संभवत: फीजी ही एकमात्र राष्ट्र है जहाँ हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति आज भी खूब फल – फूल रही है। इसका प्रमाण है वर्ष 2011, के सितम्बर माह में समूचे राष्ट्र में हर्ष और उल्लास के साथ आयोजित किया गया हिंदी दिवस समारोह । इस संबंध में प्रस्तुत है एक रिपोर्ट :--
1. भारतीय उच्चायोग और साउथ पैसिफिक यूनिवर्सिटी :-
भारतीय उच्चायोग द्वारा साउथ पैसिफिक यूनिवर्सिटी के सहयोग से ता. 14/09/11 को दो श्रेणियों में , (प्राइमरी एवं सैकिंडरी ) , भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । प्राइमरी एवं सैकिंडरी दोनों श्रेणियों के विद्यार्थियों ने हिंदी भाषी और अहिंदी भाषी उप-श्रेणियों में “ “मीडिया एवं बच्चे" , “अध्ययन का आनंद", “रामायण न होती तो हमारी संस्कृति कहाँ होती", “नैतिक शिक्षा का महत्व", “संसार एक परिवार है”, “भाषा द्वारा ही संस्कृति का ज्ञान संवभ है”, “रिश्तों की संजीवनी में बुजुर्गो की भूमिका”, “चिंता नहीं चिंतन कीजिए”, “बदलते परिवेश में नारी की भूमिका”, “प्राकृतिक सोंदर्य और मनुष्य में बढता हुआ फासला”, आदि बहुआयामी विषयों पर भाषण प्रस्तुत किए । इस अवसर पर भारत के उच्चायुक्त श्री विनोद कुमार जी ने मुख्य मेहमान के रुप में बच्चों के ओजपूर्ण और गरिमामय भाषणों का भरपूर आनंद लिया यहाँ यह उल्लेखनीय है कि फीजी मूल के अहिंदी भाषी बच्चों दारा प्रस्तुत भाषण आकर्षण का केंद्र रहा । इस अवसर पर साउथ पैसिफिक यूनिर्विसिटी की हिंदी विभागाध्यक्ष श्रीमती इंदु चंद्रा एवं उनके साथी शेलेश ने आयोजन में महम भूमिका अदा की। श्री रामवीर प्रसाद द्वितीय सचिव (हिंदी) ने दो अन्य योग्य व्यक्तियों के साथ मुख्य निर्णायक की भूमिका निभाई । दोनों श्रेणियों में प्रथम , दितीय , तृतीय पुरुस्कार के रुप में नकद राशि के साथ – साथ विदेश मंत्रालय , हिंदी अनुभाग से प्राप्त उपयोगी हिंदी की पुस्तकें महामहिम श्री विनोद कुमार द्वारा विजेता प्रतिभागियों को भेंट की गई । इस अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने समारोह में हिस्सा लिया तथा लगभग 200 बच्चों की तालियों से सभागार गुंजायमान होता रहा । इस अवसर पर बोलते हुए उच्चायुक्त श्री विनोद कुमार जी ने हिंदी भाषा के महत्व और इसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए मिशन की प्रतिबध्द्ता दोहराई और बच्चों के साहसी प्रयास के लिए उन्हें बधाई दी । उन्होने संतोष व्यक्त किया कि फीजी में मात्र भाषा के प्रति सजगता और अनुराग अभी भी मौजूद है । भविष्य में भी ऐसे प्रयासों के लिए मिशन के सहयोग का आश्वासन दिया | रामवीर प्रसाद, दितीय सचिव हिंदी ने विजेता प्रतिभागियों के ओज, भाषण कला, भाषा विन्यास और भाषा की शैलीगत विशेषताओं का तुलनात्मक विवेचन प्रस्तुत किया । श्रीमती इंदु चंद्र ने धन्यवाद ज्ञापन कर समारोह समाप्ति की घोषण की।
2. फीजी नेशनल यूनिवर्सिटी के साथ भारत का उच्चायोग
तारीख 8 सितम्बर 2011 को फीजी नेशनल यूनिवर्सिटी के राइवाई केंपस में हिंदी दिवस के अवसर पर कहानी लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार वितरण समारोह के साथ – साथ एक रंगारंग संस्कृतिक कर्याक्रम का आयोजन भी किया गया । दो श्रेणियों में आयोजित इस कहानी प्रतियोगिता में कुल 61 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं, जिनका फीजी नेशनल यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग की प्रभारी श्रीमती रामरखा एवं उनकी सहयोगी दीपा चक्रवर्ती एवं भारतीय उच्चायोग से श्री रामवीर प्रसाद दितीय सचिव (हिंदी) ने मिलकर मूल्यांकन किया । महामहिम श्री विनोदकुमार जी ने फीजी नेशनल यूनिवर्सिटी के कार्यकारी उप – कुलपति श्रीमान सुरेंद्र प्रसाद के साथ मिलकर विजेता प्रतिभागियों को नकद धनराशि के साथ – साथ ज्ञानोपयोगी पुस्तकें एवं प्रमाण –पत्र वितरित किए । श्री रामवीर प्रसाद द्वितीय सचिव (हिंदी) ने कहानियों की समीक्षा प्रस्तुत की और श्रीमती रामरक्खा नें हिंदी भाषा के अध्ययन हेतु फीजी नेशनल यूनिवर्सिटी दारा किए जा रहे प्रयासों का विवरण प्रस्तुत किया ।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री सुरेंद्र प्रसाद जी ने कहा कि हम अपने पूर्वजों के ऋणी है जिन्होने हर अत्याचार सहकर प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मातृ भाषा और संस्कृति को जीवित रखा । उन्होने कहा कि अब हमारा दायित्व है कि मातृभाषा पर गर्व करें और इसे और मजबूत बनाएँ । हमें चाहिए कि नई पीढी कम से कम फोर्म 7 तक हिंदी को एक विषय के रुप में पढे । महामहिम श्रीमान विनोद कुमार ने रचनात्मक लेखन पर बल देते हुए कहा कि अब हिंदी के अध्ययन एवं अध्यापन में सूचना प्रौद्योगिकी का सहारा भी लिया जाना चाहिए । आज समूचा विश्व एक दूसरे के बेहद करीब है अत: कंप्यूटर पर हिंदी सीखने संबंधी विकल्पों को तलाशना चाहिए । इस अवसर पर फीजी मूल के गायकों ने देशप्रेम के हिंदी गीत एवं संगीत लहरी से सभागार में उपस्थित सभी श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया । श्रीमती रामरक्खा ने धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम समाप्ति की औपचारिक घोषणा की । 


3.यूनिवर्सिटी ऑफ फीजी ने मनाया हिंदी दिवस 2011 :

4.बुलेलेका कॉलेज लंबासामें हिंदी दिवस 2011 :
30 सितम्बर 2011 , लंबासा के इतिहास में हिंदी प्रेमियों के लिए एक यादगार दिन के रुप में स्मृतियों में अंकित रहेगा क्योंकि यह अवसर था 25 स्कूलों के लगभग 600 बच्चों की उपस्थिति में लगभग 60 बच्चों की प्रस्तुतियों से शोभायमान हिंदी दिवस समारोह 2011 । अवसर की शोभा इसलिए और चौगुनी हो गई क्योंकि मुख्य मेहमान के रुप में मंचासीन थे लंबासा माटी के होनहार सपूत शाउथ पैसिफिक विश्वविद्यालय के कॉमर्स एवं अर्थशास्त्र विभाग के डीन श्री प्रो. विमान प्रसाद जी। इन्हें अपने बीच पाकर उपस्थित जनसमूह में खुशी की लहर दौड गई और फिर प्रांरभ हुआ तीन घंटे प्रतिपल उल्लास से भरा कार्यक्रम । इस अवसर पर भारतीय उच्चायोग सूवा के द्वितीय सचिव श्री रामवीर प्रसाद द्वारा लिखा गाया नाटक “हिंदी भाषा की व्यथा” का मंचन एक भारतीय और एक कायवीती मूल की बालिका द्वारा किया गया । काइवीती मूल की बालिका के मुख से हिंदी में संवाद सुनकर उपस्थित जनसमूह भावविभोर हो गया| उसकी संवाद संप्रेषण क्षमता को बहुत सराहा गया । इस अवसर पर “गिरमिट काल से आज तक” शीर्षक पर एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया जिसमें गिरमिट दौर के आभूषण, कृषि उपकरण एवम्म बर्तन आदि को प्रदर्शित किया गया तो ऐसा लग रहा था मानो उन पर गिरमिट दौर की समूची दासता अंकित हो | प्रोफेसर विमान प्रसाद जी ने अपने संबोधन में हिंदीभाषा के संरक्षण, विकास ओर यथोचित प्रचार प्रसार के लिए समाज के हर वर्ग को एक जुट होकर अभियान की तरह प्रयास करने पर जोर दिया और कहा कि साउथ पेसिफिक युनीवर्सिटी इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान देगी एवम् भारतीय उच्चायोग के साथ मिलकर हर संभव प्रयास करेगी| उन्होने बच्चों के उत्साह और प्रयास की भरपूर प्रशंसा की और शिक्षकों से आग्रह किया कि पूरी लगन एवम समर्पण भाव के साथ उन्हें भाषा को बचाए रखना है क्योंकि पूर्वजों की यही सबसे अमूल्य धरोहर हमारे पास रह गई है इस अवसर पर सभी प्रतिभागियों को उन्होने पुरस्कार एवम् प्रमाण पत्र प्रदान किए । बुलेलेका कालेज की हिंदी शिक्षिका श्रीमती प्रवीणा नंद ने धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की।
ऋषिकुल प्राइमरी विद्यालय , सूवा में लाइब्रेरी दिवस समारोह
ता. 18 सितम्बर 2011 को सुबह 10 बजे से 5 बजे तक ऋषिकुल प्राइमरी पाठशाला के प्रांगण में पुस्तक प्रदर्शनी , पर्यावरण से मित्रता, वादविवाद प्रतियोगिता और अंताक्षरी का भव्य आयोजन किया गया । इन प्रतियोगिताओं में लगभग 80 बच्चों ने भाग लिया और विरासत को संजोने में भाषा की भूमिका विषय पर इस समारोह के मुख्य अतिथि दितीय सचिव( हिंदी) श्री रामवीर प्रसाद ने फार्म 5 , 6 एवं 7 के हिंदी पढ़ रहे विद्यार्थियों के साथ एक संक्षिप्त कार्यशाला भी आयोजित की । लगभग 80 बच्चों ने इस कार्यशाला नें भाग लिया और बेबाक प्रश्नोत्तरी का दौर लगभग डेढ घंटे तक चला जिसमें कविता, गजल, गीत, सोहर, दोहे और विदेशिया की सस्वर गायन प्रस्तुति भी की गई । इस समारोह में अंताक्षरी आकर्षण का केंद्र बना रहा । कुल 6 टीमों ने हिस्सा लिया और हिंदी फिल्म जगत के अनेक नए पुराने नगमे श्रोताओं के मन को गुदगुदाते रहे । अंताक्षरी का संचालन हिंदी के शिक्षक श्री शेलेन ने किया और विजेताओं को भारतीय उच्चायोग के दितीय सचिव (हिंदी ) श्री रामवीर प्रसाद ने पुरस्कार वितरण किया । इस अवसर पर ऋषिकुल प्राइमरी विद्यालय की लाइब्रेरी को हिंदी के पढ़ने - पढाने में उपयोगी लगभग 90 पुस्तकें भारतीय उच्चायोग की ओर से भेंट स्वरुप पाठशाला के प्रधानाध्यापक को दी गईं । मास्टर शेलेन ने अपने साथियों के साथ “ईश्वर अल्ला तेरो नाम" का गायन प्रारंभ किया तो समूचा प्रांगण तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान होने लगा क्योंकि हिंदी भाषा अब फिजी के मूल निवासियों के बच्चों को भी पढाई जाती है और भारतवंशियों के बच्चों को फीजियन भाषा का कार्यसाधक ज्ञान दिया जाता है । इस भाषा नीति से दोनों समुदायों को एक दूसरे को समझने एवं सांस्कृतिक मूल्यों को पहचाने में बहुत मदद मिली है । प्रधानाचार्य श्री सुमेर सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया और सांय 5 बजे जलपान के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ।
फीजी शिक्षक एसोसिएशन द्वारा हिंदी दिवस समारोह



फीजी की लेखिका अमरजीत कौर को मैथलीशरण गुप्त प्रवासी साहित्य पुरुस्कार 2011
मैथली शरण गुप्त मैमोरियल ट्रस्ट ( दिल्ली ) द्वारा
फीजी की लेखिका श्रीमती अमरजीत कौर को वर्ष 2011 के मैथली शरण गुप्त प्रवासी साहित्य पुरुस्कार से
सम्मानित किया गया । 3 अगस्त 2011 को भारतीय संस्कृतिक संबंध परिसर में
केंद्रीय कोयला मंत्री श्री श्री प्रकाश जयसवाल और ग्रामीण विकास राज्यमंत्री श्री
प्रदीप जैन दारा पुरस्कार वितरण किया गया| लेकिन
श्रीमती अमरजीत कौर इस अवसर पर उपस्थित नहीं हो सकी अत: भारत के उच्चायुक्त
महामहिम श्री विनोद कुमार जी द्वारा 4 नवम्बर
2011 को बा में आयोजित पुरुस्कार वितरण समारोह में श्रीमती अमरजीत कौर को सम्मान
के प्रतीक चिह्न,चेक एवं शाल सहित सम्मान – पत्र भेंट किए गए
।
कार्यक्रम का संचालन
श्री आनंदी लाल अमीन ने शायराना अंदाज में किया । `स्वर्णिम साँझ' पुस्तक की समीक्षा भारतीय
उच्चायोग सूवा के द्वितीय सचिव श्री रामवीर प्रसाद ने की और यूनिवर्सिटी ऑफ फीजी
के हिंदी विभागाध्यक्षा श्रीमती शुकमेश बल्ली जी ने `स्वर्णिम साँझ' की मुख्य
मार्मिक कविताएँ पढ़ी । इस अवसर पर महामहिम श्री विनोद कुमार ने कहा कि साहित्य
किसी भी समाज का आईना होता है और हर समाज में लेखन की प्रवृति बनी रहनी चाहिए ताकि
अतीत की यादों का घरोंदा भावी पीढी तक पहुँचाया जा सके ।
श्री विनोद कुमार जी
ने श्रीमती अमरजीत कौर जी के पूरे परिवार बधाई देते हुए कहा कि किसी भी साहित्यिक
कृति की रचना में लेखक ही नहीं अपितु परिवार एवं मित्रों की अहम भूमिका होती हैं।
इस अवसर पर श्रीमती
अमरजीत कौर द्वारा रचित भजनों की संगीतमय प्रस्तुति भी की गई जिसका बा टाउन काउंसिल
हाल में बैठे लगभग 200 गणमान्य अतिथियों ने भरपूर आनंद लिया । श्रीमती अमरजीत कौर ने अपने संक्षिप्त उदबोधन
में भारत सरकार एवं भारतीय उच्चायुक्त को धन्यवाद ज्ञापन किया साथ ही युवा पीढी का हिंदी के लेखन से जुडने की
प्रेरणा भी दी । बा सिक्ख समाज के अध्यक्ष श्री दलवीर सिंह जी ने धन्यवाद ज्ञापन
किया ।
फिजी में विश्व हिंदी दिवस समारोह , 2012.
सूवा :
ता. 10-01-2012, को सूवा स्थित भारतीय उच्चायोग के भरतीय सांस्कृतिक केंद्र
के सभागार में सांय 6 बजे से 9 बजे तक
विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष में एक काव्य गोष्ठी का
आयोजन किया गया । फिजी के रेडिओ एवम् टेलिविजन कलाकारों के साथ मिलकर हिंदी के
शिक्षकों ने जाने माने भारतीय कवियों की चुनिंदा रचनाओं के साथ-साथ स्वरचित कविताओं का पाठ किया । ।
रेडिओ फिजी के उदघोषकों और शिक्षकों का एक साथ काव्य पाठ करना एक नया प्रयोग था
जहाँ एक प्रतिभागी जीवनदर्शन एवम् संवेदना भरी कविताओं का पाठ करता तो वहीं दूसरा
काव्य के किसी दूसरे रस को सभागार में बिखेरता नजर आता। बीच बीच में मंच संचालन कर
रहे भारतीय उच्चायोग, सूवा के द्वितीय सचिव
(हिंदी) रामवीर प्रसाद ने काका हाथरसी सहित अन्य हास्य कवियों की कविताओं एवम
गज़लों से सभागार में उपस्थित 150 लोगों का भरपूर मनोरंजन किया । इस अवसर पर बोलते
हुए महामहिम श्री विनोद कुमारजी ने कहा कि
हिंदी दिनोदिन विश्व भर में लोकप्रिय होती जा रही है ऐसे में फिजी वासियों ने
हिंदी के संरक्षण संबंधी जो प्रयास किए है वे काबिले तारीफ हैं । उन्होंने मारीशस, त्रिनिडाड एवम टोबेगो और अन्य राष्ट्र जहाँ भारतवंशी बसे
हैं उनकी भाषा की स्थिति का आकलन प्रस्तुत करते हुए कहा कि फिजी ही एक मात्र
राष्ट्र ऐसा है जहाँ हिंदी भाषा और संस्कृति के फूलों की सुगंधि दक्षिण प्रशांत के
इस देश की मनोहर वादियों को महका रही है ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आए फिजी वाणिज्य आयोग के स्थाई
अध्यक्ष श्री महेंद्र रेड्डी ने बोलते हुए कहा कि भारत
द्वारा फिजी वासियों को जो छात्रवृत्तियाँ दी जा रही हैं उनसे हमारे शैक्षणिक एवम् सामाजिक –आर्थिक स्तर को एक नया मुकाम मिला है। उन्होने भावी पीढ़ी से अपील करते
हुए कहा कि जिस धरोहर को 132 सालों से संजोकर रखा है उसका
अस्तित्व संकट में है। भाषा के बिना हमारी पहचान खो जाएगी अत: अब सजग होने की
जरूरत है। विशिष्ट अतिथि के रूप में
शिक्षा मंत्रालय के स्थाई सचिव डा. बृज लाल ने बडे ओजपूर्ण ढंग से एक लोक गीत से
अपना संबोधन प्रारम्भ करते हुए संतोष व्यक्त किया कि फिजी का शिक्षा मंत्रालय भाषा
शिक्षण पर पूरा ध्यान दे रहा है और इस क्षेत्र में हर सकरात्मक पहल का स्वागत
करेगा । उन्होने फिजी में भारतीय उच्चायोग द्वारा हिंदी भाषा एवम संस्कृति संबंधी
प्रयासों की मुक्त कंठ से प्रसंशा की।
महामहिम श्री विनोदकुमार जी ने विश्व हिंदी दिवस
2012 के उपलक्ष में आयोजित निबंध
लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को नकद धनराशि के साथ साथ उपयोगी पुस्तकें और
प्रमाण-पत्र प्रदान किए। काव्य पाठ करने वाले प्रतिभागियों को भी हिंदी की उपयोगी
पुस्तकें भेंटस्वरूप दी गई । इस अवसर पर जाने माने लोक गीतकार श्री सत्य देव ने "देखो
साहिब है चतवा के मालिक, हम मजूरी करावल करी ला , वो तो सिर पर चाबुक चलावे , हम पसीना बहावल करी ला” गाकर खूब तालियाँ बटोरी। समारोह में मिशन के परिवारों के साथ साथ बडी संख्या में समाज के हर वर्ग के
प्रतिनिधि मौजूद थे। द्वितीय सचिव (हिंदी ) श्री रामवीर प्रसाद ने सभी आगंतुकों
का धन्यवाद ज्ञापन किया और भोजन के आमंत्रण के साथ समारोह समाप्त हुआ ।
विश्व हिंदी दिवस समारोह 2012-लतोका
हिंदी शिक्षक संघ फिजी एवम भरतीय उच्चायोग, सूवा ने मिलकर द्राशा कालेज , लतोका में विश्व हिंदी दिवस का आयोजन किया जिसमें लगभग 15
स्कूलो के बच्चों , शिक्षकों एवम माता – पिता
ने भाग लिया। यहां इस कार्यक्रम की थीम थी काव्य संगोष्ठी जिसे दो श्रेणियों मे आयोजित किया गया। पहली श्रेणी में
पश्चिमी प्रांत के भिन्न भिन्न क्षेत्रों
से बुलाये गए लेखक एवम् हिंदी भाषा के प्रेमियों और शिक्षकों ने अपनी रचनाओं का प्रस्तुतीकरण
किया जिसमें नांदी के जनाब मोहम्मद युसुफ, फिजि यूनिवर्सिटी की शुकलेश बल्ली, हिंदी शिक्षक संघ पश्चिमी क्षेत्र के अध्यक्ष श्री शैलेश राज, फीजी नेशनल यूनीवर्सिटी की विद्या सिंह, बा सनातन कालेज की रोहिणी कुमार, नाद्रोगा कालेज रेकी की साधना शर्मा ने अपनी अपनी
स्वरचित कविताओं का पाठ किया । जहाँ एक ओर जनाब मोहम्मद युसुफ जी ने अति मानवीय
संवेदना से परिपूर्ण कविताओं से श्रोताओं का मन मोह लिया वहीं दूसरी ओर शैलेश राज
जी ने हास्य कवितायें प्रस्तुत कर
श्रोताओं के मन को खूब गुदगुदाया । श्री मती शुकलेशबल्ली ने प्रेरणाप्रद कवितायों
से बच्चों का मनोबल बढ़ाया तो दूसरी
ओर विद्या सिंह, साधना शर्मा ओर रोहिणी कुमार ने कविता के अनेक रंगों से सभागार में उपस्थित 150 श्रोताओं का भरपूर
मनोरंजन किया । बीच बीच में भारतीय उच्चायोग के द्वितीय सचिव हिंदी रामवीर प्रसाद
ने मंच संचालन करते हुए गज़ल, लोक गीत, हास्य
व्यंग और संजीदा किस्म की कविताओं की सस्वर प्रस्तुति कर भाषा की विशेषताओं से
श्रोताओं को परिचय कराया । इसी बीच श्री सुशील प्रकाश ने हिंदीभाषा के महत्व को
उजागर करने वाला एक गीत प्रस्तुत किया और फिर बांसुरी वादन से उन्होने सभागार को जीवंत बना दिया।
दूसरी श्रेणी में
विभिन्न स्कूलों से आये 10 बच्चों ने कविता पाठ किया जिनमें शनील पिल्लै लतोका
आंध्रा, रवनिता लता डी ए वी बा, शायल कुमार बा
सनातन, ज़ेबा अली सिंगातोका मेथोडिस्ट,
रोहनिल कुमार द्राशा सेकिंडरी कालेज, प्रशनिल कुमार पं.
विश्नू देव कालेज, शालिनी शर्मा जस्पर विलियम, आशुतोष राज द्राशा सेकिंडरी, श्यामा वर्मा महर्षि
सनातन और दीपिका शर्मा नंद्रोगा आर्य कालेज शामिल थे । सबसे
उत्साहवर्धक बात यह थी कि 10 बच्चों मे से 9 ने अपनी स्वरचित कविताओं का पाठ
किया। इन कविताओं मे अनेक विषयों को वर्णित किया गया। यह फिजी के साहित्य सृजन के
लिए बहुत अच्छा संकेत है । इसी से किसी
समाज के विकास की दिशा ओर दशा का मूल्यांकन किया जा सकता है । बच्चों मे उत्साह देखने ही वाला था।
इस अवसर पर यूनिवर्सटी
आफ फिजी के हिंदी विभाग की प्रभारी श्रीमती शुकलेश बल्ली जी ने अपने भाषण में
देवनागरी लिपि के संरक्षण पर जोर देने के लिए कहा अन्यथा भाषा का विकास रुक जाएगा।
उन्होने हिंदी में लेखन को बढ़ावा देने पर
भी जोर दिया।
इस अवसर पर श्री रामवीर जी ने विश्व विद्यालय स्तर पर भाषाविज्ञान को पढ़ाए जाने की आवश्यकता पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि किसी भी भाषा का
उच्चारण, वाक्यों का गठन , भाषिक इकाइयों की
संरचना,अभिव्यक्ति के अंदाज, व्याकरण सौष्ठव और पाठ में गतिशीलता तभी आ सकती है जब हमारी भावी पीढ़ी के विद्यार्थियों को
भाषा, भाषाविज्ञान की दृष्टि से सही सही समझाई जाएगी।
उन्होने इस अवसर पर हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं का उदाहरण देकर बताया कि किस
प्रकार भाषा व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होती है । द्वितीय सचिव
हिंदी श्री रामवीर जी ने शिक्षकों से आग्रह करते हुए कहा कि यह जिम्मेदारी अब उनकी
है कि वे इसे कितना गंभीरता पूर्वक लेंगे। सतही तौर पर आज हिंदी की स्थिति बहुत
अच्छी लग रही है लेकिन अब तीसरी पीढ़ी लिपि और लेखन पर ध्यान कम दे रही है इसलिए ही
आज भजन, रामायण और अन्य पूजा अर्चनाएँ रोमन में लिखकर की जा रही हैं, यही भाषा के समाप्त होने का पहला चरण है। विश्वभर की भाषाओं के समाप्त होने का
इतिहास तो यही कहता है । भाषा पहले लिपि से जाती है फिर लेखन से चली जाती है और
फिर यह बोलचाल में कुछ वर्षों तक संपर्क भाषा के रूप में बनी रहती है किंतु इसके
आगे नही चल पाती और समाप्त हो जाती है । भाषाओं को पुन: स्थापित करने में सेकडों वर्ष
लग जाते हैं; जैसे अंग्रेज भारत वर्ष में 200 वर्ष राज करने के बाद ही अंग्रेजी को
भारत के राज काज की भाषा बना पाए थे और इतने वर्ष के बाद भी अंग्रेजी आमजन की
भाषा नही बन पाई । दूसरी ओर भारत में अनेक स्थानीय भाषाएँ ग्रामीण अंचल में संपर्क
भाषाओं के रूप में बोली जाती रही और मानक हिंदी को सींचती रहीं । श्री रामवीर जी ने
यह भी बताया कि फिजी में भाषा संकटासन्न है, इसे व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ाने की
जरूरत है।
समारोह के बाद द्राशा कालेज के प्रधानाचार्य को भारतीय
उच्चायोग की ओर से हिंदी की उपयोगी पुस्तकें भेंट स्वरूप दी गई । श्री शैलेशजी ने
सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया ओर कहा कि अब हमें एक जुट होकर हिंदी के संरक्षण की
दिशा में सकारात्मक पहल करनी होगी ओर इस दिशा में हम भारतीय उच्चायोग का सहयोग
लेते रहेंगे ।
विश्व हिंदी समारोह 2012 -लंबासा:-
विश्व हिंदी समारोह 2012 -लंबासा:-
विश्व हिंदी दिवस समारोह 2012 का अगला पड़ाव था खूबसूरत
पहाड़ियों से घिरा हुआ उत्तरी प्रांत का शहर लंबासा, जो नाग मंदिर के कारण भी
सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है। यहाँ नंद्रोगा प्राइमरी पाठशाला में ता. 15-03-2012 को 12
पाठशालाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे 48 बच्चों ने स्वरचित एवम् फिजी की आधुनिक
प्रतिनिधि कविताओं के साथ साथ ओजपूर्ण भाषण प्रस्तुत किए। इस अवसर पर “फिजी में
हिंदी की व्यथा” नामक नाटक की प्रस्तुति भी की गई । इसमें हिंदी और इताउके भाषाओं के
आपस में संवाद थे जो हिंदी के संवाद एक इताउके मूल की छात्रा ने तो इताउके भाषा के संवाद हिंदुस्तानी छात्रा ने बखूबी प्रस्तुत किए। इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य
मेहमान उत्तरी प्रांत लंबासा के स्वास्थ्य आयुक्त श्री राकेश कुमार ने मातृभाषा के बिना पैदा होने वाली संकट्ग्रस्त स्थितियों की ओर
ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि ध्वनियों की जैसी व्यवस्था संस्कृत और हिंदी में है
वैसी अन्य किसी भाषा में नही है । संस्कृत के अनेक श्लोकों का सस्वर पाठ करके उनका
रोमनीकरण भी प्रस्तुत किया। उच्चारण में परिवर्तन आने मात्र से ही शब्द के कलेवर
और अर्थ दोनों में आंशिक परिवर्तन आ जाता है अत: मातृ भाषा व्यक्ति की पहचान ही
नहीं, सटीक अभिव्यक्ति का
माध्यम है। मंच संचालन कर रहे भारतीय उच्चायोग के द्वितीय सचिव श्री रामवीर प्रसाद
ने रेखांकित किया कि अब फिजी में हिंदी के समुचित विकास के लिए योजनाबद्ध तरीके से
कार्य करने की जरूरत है और यह कार्य प्राइमरी स्तर से प्रारम्भ होना चाहिए ताकि
हिंदी से मुँह मोड़ रही युवा पीढ़ी में रुचि पैदा की जा सके।
लंबासा प्रांत से शिक्षा मंत्रालय में
मनोनीत सदस्य श्री लाखन कुमार और हिंदीशिक्षक संघ(उत्तरी प्रांत) की अध्यक्षा श्रीमती प्रवीणा नंद ने अपने उद्गार व्यक्त किए। नंद्रोगा प्राइमरी स्कूल के प्रधानाचार्य जी ने सभी का
धन्यवाद ज्ञापन किया । सभी प्रतिभागियों एवम् भाग लेने आए स्कूलों को भारतीय
उच्चायोग की ओर से श्री रामवीर प्रसाद ने हिंदी
की पुस्तकें और शब्दकोश भेंट किए।
हिंदी के एक मात्र समाचार पत्र `शांतिदूत ' को हिंदी की पुस्तकें भेंट
1935 से निरंतर प्रकाशित हो रहे फिजी के एक मात्र हिंदी समाचार पत्र शांतिदूत को ता. 2 -02-2012 को भारत के उच्चायुक्त महामहिम श्री विनोद कुमार जी ने हिंदी पत्रकारिता में उपयोगी विविधि विषय परक लगभग 100 हिंदी पुस्तकें भेंट कीं |
औपचारिक रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में मिशन के सभी वरिष्ठ अधिकारियों सहित फिजी टाइम्स के प्रबंध निदेशक श्री हेंग, प्रधान संपादक श्री फ्रेड वेसले सहित समस्त कर्मचारीगण एवम् `शांतिदूत' की संपादक श्रीमती नीलम कुमार और युवा सह संपादक श्रीराकेश कुमार मौजूद थे। इस अवसर पर बोलते हुए श्री हेंग ने भारतीय उच्चायोग को धन्यवाद करते हुए कहा कि इस उपयोगी पठन सामग्री से `शांतिदूत' के पाठकों को अब रुचिकर सामग्री पढ़ने को मिल सकेगी । श्रीमती नीलम कुमार ने अपने उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि
यह एक एतिहासिक मौका है कि `शांतिदूत' की स्थापना के 77 वर्ष बाद भारतीय उच्चायोग की ओर से भेंट स्वरूप इतनी बहुमूल्य
पुस्तकें प्राप्त हो रही हैं।
इन पुस्तकों से अब हम पाठकों को कुछ नई एवम् रुचिकर
जानकारियाँ प्रस्तुत कर सकेंगे, जिससे हमारा समाचारपत्र और लोकप्रिय होगा। यह फिजी
में हिंदी भाषा के संरक्षण तथा प्रचार एवम् प्रसार में बहुत सहायक सिद्ध होगा। श्री
हेंग जी ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन करते हुए फिजी में `शांतिदूत' के माध्यम से हिंदी
भाषा के विकास की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की, साथ ही यह भी कहा कि हमारा
समूह भारतीय उच्चायोग के साथ मिलकर निरंतर इस दिशा में प्रयासरत रहेगा।
फीजी में शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन
सूवा, स्थित भारतीय उच्चायोग ने यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ पैसिफिक के साथ
मिलकर फीजी भर के तीनों प्रांत – लंबासा, लटोका एवं सूवा में शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के उद्द्देश्य से कुल 6 कार्यशालाओं का आयोजन किया । लटोका में तारीख 22/08/2011 को
प्राइमरी शिक्षकों के लिए चार सत्रों में कार्यशाला संपन्न हुई जिसमें “कंप्यूटर पर हिंदी”, “रचनात्मक लेखन कला,” “पाठयक्रम
मूल्यांकन विधि” के साथ – साथ
देवनागरी लिपि और मानक वर्तनी विषयों पर व्यापक विमर्श किया गया । इस
कार्यशाला में विभिन्न स्कूलों से आए हुए 42
शिक्षकों ने भाग लिया| तारीख 23/08/2011 को पुन: चार सत्रों मे
सेकिंडरी शिक्षकों के लिए कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें भाषा विन्यास, भाषा शैली, सामान्य त्रुटियाँ,
रचनात्मक लेखन कला , अभिव्यक्ति एवम् प्रस्तुतिकरण, पाठ्य मूल्यांकन और अनुवाद शिल्प भी है और विज्ञान भी आदि विषयों पर
गहन चर्चा हुई । इस कार्यशाला में 23 शिक्षकों ने भाग लिया । इसी प्रकार
तारीख 25 एवं 26/08/11
को प्राइमरी एवं सेकिंडरी शिक्षकों के लिए
उक्त विषयों का दो दिन गहन प्रशिक्षण आयोजित किया गया जिसे सभी शिक्षको के साथ – साथ स्थानीय
मीडिया ने भी इसे एक नई पहल करार दिया । तारीख 29 और 30 को साउथ पैसिफिक
विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में उसी तर्ज पर प्राइमरी और सैकिंडरी शिक्षकों के लिए
उपर्युक्त विषयों के अलावा कार्यशाला में रिपोर्ट तैयार करना, परियोजना बनाना, चार्ट के माध्यम से
बच्चों का मूल्यांकन करना आदि विषय भी शामिल किए गए । यहाँ भी प्रतिभागियों की संख्या बहुत ही उत्साहवर्धक रही । कुछ मिलाकर लंबासा, लटोका और सूवा में आयोजित 2-2 दिन की कार्यशाला
में 142 शिक्षकों को प्रमाण पत्र एवं भारतीय उच्चायोग की ओर
से उप- सचिव हिंदी, विदेश मंत्रालय से प्राप्त हिंदी की ज्ञानोपयोगी पुस्तकें एवं शब्द कोश भेंट
स्वरुप प्रदान किए गए ।
फिजी राष्ट्रीय विश्वविध्यालय में अनुवाद पर कार्यशालाएँ
18 जून 2011 को फिजी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के राइ वाइ परिसर, सूवा में वीतीलेवू प्रांत के शिक्षकों के लिए एक दिवसीय अनुवाद कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें कुल 24 शिक्षकों ने भाग लिया । भारतीय उच्चायोग, सूवा के द्वितीय सचिव (हिंदी एवम् संस्कृति) रामवीर प्रसाद द्वारा तीन सत्रों में आयोजित इस कार्यशाला में “अनुवाद क्या है” , “अनुवाद की आवश्यकता एवम् महत्व”, “अनुवाद के प्रकार", “सामान्य जीवन में अनुवाद", “बहुभाषी समाज में अनुवाद की प्रासंगिकता" ( फिजी के विशेष संदर्भ में ) और “फिजी में आज प्रचलित शब्दावली के लिए उचित मानक शब्दों का प्रयोग" आदि विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई। फिजी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग की प्रभारी श्रीमती मनीषा रामरक्खा ने अंतिम सत्र में हिंदी संबंधी नवीन पाठ्यक्रम एवम हिंदी भाषा अध्ययन के लिए उपलब्ध सुविधाओं पर प्रकाश डाला श्रीमती दीपा चक्रवर्ती ने हिंदी के “व्याकरण में आम त्रुटियाँ" विषय पर सोदाहरण विचार प्रस्तुत किए ।
इसी प्रकार ता. 13 अगस्त 2011 को फिजी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में प्राइमरी शिक्षकों के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। चार सत्रों में आयोजित इस कार्यशाला में श्री रामवीर प्रसाद द्वारा “भाषा विज्ञान",“रचनात्मक लेखन" और "कंप्यूटर पर हिंदी” जैसे विषयों पर तीन सत्र संपन्न किए गए और अंतिम सत्र में फिजी सरकार के शिक्षा मंत्रालय की पाठ्यक्रम विकास अधिकारी श्रीमती महाराज कुमारी भिंडी ने कक्षा आधारित मूल्यांकन की विधियों पर व्यापक चर्चा की। साथ ही श्रीमती दीपा चक्रवर्ती ने हिंदी व्याकरण पर प्रकाश डाला। इस कार्यशाला में कुल 19 शिक्षकों ने भाग लिया।
भारतीय उच्चायोग एंव साउथ पैसिफिक यूनिवर्सिटी द्वारा वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन
ता.20-9-2011 को “भारतीय मानस पर
पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव” नामक विषय पर एक वादविवाद प्रतियोगिता आयोजित
की गई जिसमें कुल तीन टीमों ने हिस्सा लिया और पक्ष – विपक्ष पर दो घंटे तक चली
बहस में विश्वविद्यालय के सभागार में उपस्थित लगभग 200 विद्यार्थियों ने कभी समर्थन
में तो कभी असहमति में अपने - अपने ढंग से अभिव्यक्ति की और भरपूर आनंद उठाया ।
इस अवसर पर मुख्य निर्णायक
थे भारतीय उच्चायोग के द्वितीय सचिव श्री रामवीर प्रसाद जी और उनका साथ दे रही थीं डा. इंद्रू चंद्रा एवं यू एस पी की एक शोध छात्रा सुश्री
सोफिया जी। अब यह प्रतियोगिता विश्वविद्यालय में मुक्त कंठ से
होने वाले विमर्श का प्रतीक बन गई है और प्रतियोगिता के बाद निर्णय लिया गया कि
इसका हर वर्ष आयोजन किया जाएगा।
विजेता टीम को श्री रामवीर प्रसाद जी ने उच्चायोग की ओर से पुस्तकें एवं
प्रमाणपत्र भेंट किए । इस अवसर पर श्री रामवीर प्रसाद जी ने अपने वक्तव्य में कहा
कि वाद विवाद प्रतियोगिताएँ विद्यार्थियों में नेतृत्व क्षमता, तर्कणा शाक्ति, निर्णय लेने की क्षमता एवं पहल करने की योग्यता जैसे व्यक्तित्व विर्माण मे सहायक गुणों का विकास करने में
मदद करती हैं । ऐसी प्रतियोगिताओं से अपेक्षित आत्मविश्वास पैदा होता है जो जीवन के
हर क्षेत्र में प्रतिबिंबित होता रहता है
। ऐसी प्रतियोगिताएँ न केवल आपसी सौहार्द्र को बढ़ाती हैं अपितु एक दूसरे के
विचारों, दृष्टिकोण और चिंतन की दिशा को समझने में बहुत
कारगर साबित होती हैं । उन्होने कहा कि वाद – विवाद प्रतियोगिताओं मे भाषा और विषय-वस्तु दोनों ही की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । विषय-वस्तु को सही रूप में
श्रोताओं तक पहुँचाने के लिए अगर उपयुक्त एवं सटीक शब्दावली, भाषाशैली और अभिव्यक्ति के साथ–साथ प्रस्तुतिकरण नही है तो वाद-विवाद
प्रतियोगिता नीरस हो जाती है।
आउट रीच प्रोग्राम 2011-2012
18 अप्रेल 2011 से 17 अप्रेल 2012 तक एक वर्ष के दौरान फिजी के तीनों प्रांत जैसे पश्चिमी प्रांत, उत्तरी प्रांत और मध्य क्षेत्र में क्रमश: 04, 12 एवं 10 प्राइमरी एवम् सेकिंडरी पाठशालाओं में उप सचिव ( हिंदी ) विदेश मंत्रालय, से प्राप्त हिंदी की उपयोगी पुस्तकें भेंट की गयी और इस अवसर पर शिक्षकों और एक विषय के रूप में हिंदी पढने वाले बच्चों को संबोधित किया |
इस प्रयास से शिक्षक एवम् छात्र दोनों में मातृ भाषा के प्रति जागरूकता लाने में आशातीत सफलता प्राप्त हुई है |
आज लगभग 100 शिक्षक एवम् छात्र ई मेल से संपर्क में है और उनके साथ नियमित विमर्श होता रहता है | आउट रीच प्रोग्राम एक ऐसा माध्यम है जिसके तहत छात्रों के सरोकारों से सीधे जुड़ा जा सकता है | उनके भाषाज्ञान का आकलन कर भावी भाषाशिक्षण संबंधी योजनाएँ बनाने में सहूलियत मिल जाती है |इन कार्यक्रमों से पूरे देश में हिंदी के प्रति एक सकारात्मक पहल का माहौल बना है, जो भाषा के शिक्षण और विकास की दृष्टि से बहुत उत्साह वर्धक है |
fiji me hindi ki poori report prhi ,parh ker man gad gad ho gya ki kisi videsh me hindi ka itna utthan ho rha hai.fiji me hindi aur bhartiye sanskritike chumukhi vikas ,parchar aur parsar ke liye chlai gyee karyashalaen kabile tareef hai.1912 se smachar pater parkashit ho rha hai,hindi divas mnaya jata hai sabhi pryas uttam aur srahneeyahai.sbhi bhagidar jo shamil hai isme ko hardik badhai aur mangalkamnaen.
जवाब देंहटाएंviswambhara ke satat evam sarthak prayason ki parinati is varshik lekha sangrah se spasht ho rahi he. bharat bharti ke purodha aap sarikhe mahanubhav hindi bhasha ke vaibhav ko vishv me gauravanvit kar rahe hen sachche sadhuwad ke paatr hen.fiji evam anya hindi premi rashtron me hindi bhasha ka prachar prasar har bharat vasi ka dayitv hai. kavita ji ke madhyam se mujhe is samast jankari ke avlokan ka avsar mila me unka hriday se aabhar vyakt karta hun.is pawan yagy me meri jahan aavashyakta ho saharsh apne aap ko prastut karta hun . aap logon ke har prayas ki kamyabi ke liye hardik shubhkamnayen.
जवाब देंहटाएंफिजि में भारतीय सास्कृति और हिंदी के प्रसार की रिपोर्ट देख बहुत गर्व हो रहा है। इस प्रयास से जुडे सभी का आभार और बधाई।
जवाब देंहटाएंफिजि में भरतवंशियों द्वारा हिंदी की सेवा ,हिंदी को जिन्दा रखने की हिम्मत प्रशंसनीय है | सारा भरतवंशी परिवार बधाई का पात्र है |
जवाब देंहटाएंफिजि मै हिन्दी के लिये जो काम हो रहा है वह अनिवर्णनीय है .आधुनिक समय नेट का है हुम लेखक परस्पर जुड़े
जवाब देंहटाएंतो बेहतर होगा
कभी-कभी तो यक़ीन नहीं होता कि "हिंदी" को लेकर इतने सारे कार्यक्रम विदेशों में होते हैं...क्योंकि भारत में हिंदी के साथ जैसे लोग पेश आते हैं...वो तो बस हिंदी ही जानती है। हाँ, इसके चाहने वाले भी हैं...
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